‘हिंदुत्व की मथनी’ बनी अयोध्या
त्रेतायुग के बाद पिछले बरस की तरह इस बार भी दीवाली ऐसी रही कि अयोध्या निहाल हो उठी। इतिहास करवट ले रहा था। काल का पहिया घूम गया। पहुंच गया दीवाली के प्रारंभ विंदु पर। काल मानों निचुड़कर एक विंदु पर आ गया। त्रेता और कलियुग की बीच की...